यूं तो थकती नहीं वो सबको प्यार बताते बताते
मगर उसने बदल दी बात मेरा नाम आते आते
ज़िक्र तो रहा मेरा उसकी ख़ामोशी में भी,
छलक गयी आँख, मेरी झलक छुपाते छुपाते ...
एक अरसे से मिला नहीं हूँ खुद से।
एक उम्र इंतज़ार की भी होने को है।।
जिंदगी से बेरुखी जन्नत की आरजू में।
मौत एक बार फिर भी होने को है।।
फिर एक बार इश्क के माने बदलेंगे।
मेरे बाद गुरूर के भी पेमाने बदलेंगे।।
तुमसे न बदलेंगे इरादे मेरे।
मैं बदलूँगा तो जमाने बदलेंगे।।
ये जो चुरा लिया है तुमने मुझमें से मुझको ही थोड़ा सा
खुद को भी नहीं किया पूरा, छोड़ दिया मुझको भी अधूरा सा
शामें टूटना शुरू हुईं, राते सारी बिखरी रहीं
समेट के फिर रखा जैसे ही हुआ सवेरा सा
उसकी आंखें मुझसे मेरी ही शिकायत करती हैं।
मैं भी खुद को सज़ा दे देता हूँ फिर उससे नज़रे मिला के।।
ख्वाब भी नहीं देख सकती अपनी नज़र से
दुनिया भी दुनिया की नज़र से देखती है।
मैं उसे देख कर कुछ और देख नहीं पाता
वो आइना भी देखती है तो हिज़्र से देखती है।।
मैं खुद हार जाऊँ ये और बात है |
तुम जीत लो मुझको तो और बात है ||
आसान बहुत है क़ैद कर लेना |
पंख दो मुझको तो और बात है ||